बाजना से शिवगढ़ का रास्ता बना मौत का सफर टूटी फूटी सड़कें रोजाना दे रही हादसों को दावत आखिर कब जागेगा जिम्मेदार राठौड़ टुडे अजय चौहान

।                               बाजना से शिवगढ़ का रास्ता बना मौत का सफर


टूटी-फूटी सड़कें रोजाना दे रही है हादसों को दावत


आखिर कब जागेंगे जिम्मेदार


रतलाम । बाजना से गढ़खनकाई माता जीपहुँच मार्ग इन दिनों अपनी बदहाली पर खून के आँसू रो रहा है । जिसके चलते बाजना से शिवगढ़ पहुँचनेवाला १५ किलोमीटर लंबा यह टुकड़ा जो कि घाट सेक्शन से फटा पड़ा है बावजूद इसके इसकी टूटी-फूटी हालत होने के चलते इस पर सफर करना मौत से आँखे मिलाने जैसा है। आए दिन इस रास्ते पर कोई ना कोई हादसा होता ही रहता है । जिसमें कईयों ने अपने हाथ-पैर गँवा दिए तो कई अपनी जान तक गँवा चुके है। बावजूद इसके इस रास्ते की हालत में सुधार के लिए किसी जिम्मेदार की सुस्ती नहीं उड़ रही है।


हद तो तब है जबकि इसी रास्ते पर कुछ किलोमीटर के टुकड़ों की हालत इतनी अच्छी है कि उसे देखकर लगता है कि नहीं कि इस रास्ते पर सड़क इतनी अच्छी भी हो सकती है जबकि बाकी के कई किलोमीटर के टुकड़ों पर पर तो सड़क बिल्कुल नाम-ओ-निशान तक मिट चुका है।


ऐसा भी नहीं है कि इस इलाके का रास्ता कोई सीधा-सपाट हो तो सड़क खराब होने के चलते भी उस पर सफर जैसे-तैसे धक जाए, बल्कि यह इलाका घाट सेक्शन फटा पड़ा है जिस पर वैसे ही बमुश्किल गाडिय़ों को चढऩे में पसीना आ जाता है तो ऊपर से सड़क का नाम-ओ-निशान मिट जाने और आसपास खाइ जैसे हालात होने के चलते इस रास्ते पर पैदल तक गुजरने में रूह काँप जाती है तो खुद ही समझा जा सकता है कि दुपहिया और चारपहिया वाहनों की गुजरने पर क्या हालत होती होगी वो भी तब जब बसें खचाखच भेड़-बकरियों जैसी सवारियाँ भरकर इस राह से गुजरती है तो ट्रकों भी परमिशन की बजाए दुगुने-तिगुने माल से लदे होने के चलते आड़े-तिरछे कब्र में लटके हुए से ही चलते हैं।


जानकारों की मानें तो इस इलाके की सड़क के निर्माण के लिए ऊपर से बजट भी आया तो कई बार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया जिससे इस सड़क की उखड़ी हुई गिट्टियाँ पेंचवर्क तक के डामर और  गिट्टी की चूरी से तर नहीं हो पाई।


अब बड़ा सवाल यह उठता है कि जून महीना शुरू हो चुका है और बारिश सिर पर खड़ी है ऐसे में ये सड़क रोजाना ना जाने कितनों की बलि ले लेगी और कोई बड़ा हादसा हो जाने के बावजूद जिम्मेदार लकीर के फकीर बनकर फिर लगेंगे जाँच की लाठी पीटने जिसका नतीजा एक बार फिर से ढाक के तीन पात ही रहना है।


अब भी वक्त है अगर जिम्मेदरों को जरा भी बेगुनाह मुसाफिरो की जान की परवाह है तो वक्त रहते इस सड़क की हालत में सुधार की ओर कदम बढ़ाए ताकि रोजाना हादसों भरा मौत का ये सफर सुरक्षित बन सके ।


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