जिला कलेक्टर का दोहरा रवैया?रतलाम जिले के निलंबित सहायक आबकारी आयुक्त जगदीश राठी को उनके द्वारा इंदौर हाई कोर्ट से अपने पक्ष में निलंबन आदेश पर स्टे ले लेने के बाद कलेक्टर रुचिका चौहान द्वारा कोरोना हॉटस्पॉट इंदौर से आने के कारण 14 दिन के लिए होम क्वॉरेंटाइन कर दिया,सहायक आबकारी आयुक्त नीरजा श्रीवास्तव 14 मई को रतलाम में जॉइनिंग दी जो कोरोना हॉटस्पॉट भोपाल शहर से आई है तो नियमानुसार उन्हें भी 14 दिन क्वॉरेंटाइन किया जाना था यही नहीं आने के बाद 22 मई को उज्जैन में डिप्टी कमिश्नर से मिलने भी गई थी उज्जैन भी कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ है इसलिए उन्हें क्वॉरेंटाइन नहीं किया जाकर सिर्फ जगदीश राठी को क्वॉरेंटाइन करना जिला प्रशासन के लिए मुसीबत साबित करने वाला हो सकता राठौड़ टुडे अजय चौहान

 रतलाम जिले के निलंबित सहायक आबकारी आयुक्त जगदीश राठी को उनके द्वारा इंदौर हाई कोर्ट से अपने पक्ष में निलंबन आदेश पर स्टे ले लेने के बाद एक तरफा दोबारा पद पर चार्ज ले लिए जाने से खफा जिला कलेक्टर रुचिका चौहान द्वारा कोरोना हॉटस्पॉट इंदौर से आने के कारण 14 दिन के लिए होम क्वॉरेंटाइन कर दिया गया शहर के हित में उठाया गया यह एक अच्छा कदम है। किंतु एक अच्छे काम पर भी सवालिया निशान उठने शुरू हो जाते है यदि वह सोच विचार कर और दूरगामी परिणामों को देखकर नहीं उठाया गया हो। क्योंकि हाई कोर्ट द्वारा राठी के पक्ष में यथास्थिति का आदेश पारित किया गया है और स्वयं कलेक्टर Commissioner सहित राज्य शासन और आबकारी आयुक्त भी उसमें पार्टी है तो बेहतर यही होता कि कलेक्टर को अपना पक्ष इंदौर हाई कोर्ट में बेहतर तरीके से रख कर उस स्टे को वैकेट करवाया जाता या नवागत सहायक आबकारी आयुक्त नीरजा श्रीवास्तव को इंदौर हाई कोर्ट को यह बताना चाहिए था कि चूंकि उन्होंने पदभार ग्रहण कर लिया इसलिए इस स्टे को वैकेट किया जाए लेकिन जिला प्रशासन द्वारा बेहतर रास्ते को न चुनकर घुमावदार रास्ते को चुनने का निर्णय लिया जो उसी के लिए उलझन पैदा करने वाला साबित हो सकता है। क्योंकि शहर में राठी जैसे ऐसे एक नहीं सैकड़ों व्यक्ति होगे जो कोरोना हॉटस्पॉट पर जा कर आए होंगे रतलाम रेलवे का डिवीजन होने के कारण यहां के गार्ड और ड्राइवर कई कोरोना हॉटस्पॉट वाले शहरों में जाते हैं और आते हैं तो क्या उन्हें भी क्वॉरेंटाइन किया जाएगा। इसी तरह कई लोग इलाज के लिए इंदौर बड़ौदा अहमदाबाद जाकर आते हैं इसका भी जिला प्रशासन के पास कोई पुख्ता रिकॉर्ड नहीं होगा खुद सहायक आबकारी आयुक्त नीरजा श्रीवास्तव 14 मई को रतलाम में जॉइनिंग दी जो कोरोना हॉटस्पॉट भोपाल शहर से आई है तो नियमानुसार उन्हें भी 14 दिन क्वॉरेंटाइन किया जाना था यही नहीं आने के बाद 22 मई को उज्जैन में डिप्टी कमिश्नर से मिलने भी गई थी उज्जैन भी कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ है इसलिए उन्हें क्वॉरेंटाइन नहीं किया जाकर सिर्फ जगदीश राठी को क्वॉरेंटाइन करना जिला प्रशासन के लिए मुसीबत साबित करने वाला हो सकता है पता नहीं क्यों उन्होंने बेहतर तरीका न चुनते हुवे यह आ बैल मुझे मार वाला फसादी तरीका चुना    साभार खबर पक्की


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